इस series में हम psychology के notes दे रहे है जो विभिन्न परीक्षाओं के लिए अतिमहत्वपूर्ण है |
psychology notes के इस series में आज हम personality psychology के बारे में पढेंगे तो बने रहिए popularstudy के साथ |
व्यक्तित्व , बुद्धि व संवेगात्मक बुद्धि
व्यक्तित्व अंग्रेजी के पर्सनैलिटी शब्द का हिंदी अर्थ है पर्सनैलिटी शब्द लैटिन भाषा के Persona शब्द से बना है । जिसका अर्थ है – मुखौटा
→ प्राचीन समय में बाह्य रूपरेखा के आधार पर व्यक्तित्व को परिभाषित किया जाता था ।
लेकिन आज परिभाषा बदल चुकी है ।
→ वर्तमान समय में बाह्य व आंतरिक गुणों के समावेश को व्यक्तित्व कहा जाता है ।
ऑलपोट – “व्यक्तित्व मनोदैहिक व्यवस्थाओं का गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण के साथ अपूर्व समायोजन स्थापित कर लेता है”
मनोदैहिक – आंतरिक व बाह्य
गत्यात्मक – परिवर्तनशील
वैलेंटाइन –
“व्यक्तित्व जन्मजात व अर्जित प्रवृत्तियों का योग है”
नोट – व्यक्तित्व पर वंशानुक्रम व वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है ।
वुडवर्थ – “व्यक्तित्व व्यक्ति की संपूर्ण गुणात्मकता है। “
→ व्यक्तित्व का वर्गीकरण –
→ पाश्चात्य दृष्टिकोण से –
क्रे. मर → “इन्होंने शारीरिक संरचना के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है।”
→ स्थूलकाय, सुडोलकाय, क्षीणकाय, मिश्रित ।
- स्थूलकाय — नाटे व्यक्ति
- सुडोलकाय — खिलाड़ी प्रवृत्ति वाले
- क्षीणकाय — दुर्बल शरीर वाले
- मिश्रित -मिले-जुले

शैल्डन → इन्होंने भी शारीरिक संरचना के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है।
- गोलाकार
- आयताकार
- लंबाकार
स्प्रेंगर :- स्प्रेंगर ने समाजशास्त्रीय आधार पर व्यक्तित्व को 6 भागों में विभाजित किया है ।
- सैद्धांतिक प्रवृत्ति वाले
- राजनीतिक प्रवृत्ति वाले
- सामाजिक प्रवृत्ति वाले
- सौंदर्यत्मक प्रवर्ती वाले
- आर्थिक प्रवृत्ति वाले
- धार्मिक प्रवृत्ति वाले
जुंग → जुंग के द्वारा किया गया वर्गीकरण वर्तमान समय में सबसे प्रसिद्ध है । माना जाता है इन्होंने मनोवैज्ञानिक आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है ।
- अंतर्मुखी
- बहिर्मुखी
- उभयमुखी (अंतर्मुखी और बहिर्मुखी का मिश्रण )
भारतीय दृष्टिकोण से :-
- सतोगुणी – ईश्वर व धर्म में
- रजोगुणी – कर्म में
- तमोगुण – सुख प्राप्ति में
आधुनिक दृष्टिकोण से →
- भावुक
- विचारशील
- कर्मशील
उचित व्यक्तित्व होता है – संवेगिया स्तर

नोट :- सबसे प्राचीन प्रकार सिद्धांत (टाइपोलॉजि ) ग्रांड चिकित्सा शास्त्री हिप्पोक्रेट्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘नेचर ऑफ मैन’ के अंतर्गत प्रतिपादित किया है ।
उन्होंने स्वभाव के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है :-
- कालापित्त – उदास हताश निराशावादी
- पीलापित्त – गुस्सैल क्रोधी चिड़चिड़ा
- रक्त प्रधान – रक्त खुशमिजाज प्रसन्नचित आशावादी ।
- कफ प्रदान – विरक्त,भावशून्य ,आदि
व्यक्तित्व मापन की विधियां
प्रक्षेपी/प्रक्षेपण विधिया
- TAT
- CAT
- IBT
- SCT
- EWAT
- खेल व नाटक विधि
अप्रक्षेपी/अन्य विधिया
- आत्मनिष्ठ / व्यक्तिनिष्ठ विधियां
- वस्तुनिष्ठ विधियां
- आत्मकथा विधि व्यक्ति इतिहास विधि प्रश्नावली विधि साक्षात्कार
- निरीक्षण विधि समाजमिति विधि कर्म निर्धारण मापनी शारीरिक परीक्षण

परिक्षेपण विधियां →
परिक्षेपण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया प्रक्षेपण का अर्थ होता है अपनी बातों विचारों भावनाओं आदि को स्वयं न बताकर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से अभिव्यक्त करना ।
→ प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अवचेतन मन की बातों का पता लगाया जाता है ।
1. प्रासंगिक अंतर्गत परीक्षण / कथा प्रसंग परीक्षण
TAT – THEMATIC APPRECIATION TEST
निर्माणकर्ता – मोरगन मुरे (1935)
कुल कार्ड → 30 + 1 = 31
चित्रों से संबंधित कुल कार्ड = 30
खाली कार्ड = 1
→ इस परीक्षण में 10 कार्डों पर पुरुषों से संबंधित चित्र 10 पर स्त्रियों से संबंधित तथा बाकी 10 पर दोनों से संबंधित चित्र बने हुए होते हैं ।
→ व्यक्ति को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है कम से भी कम 20 चित्रों पर कहानी लिखाई जाती है ।
→ यह परीक्षण व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों ही रुपो में प्रयोग किया जा सकता है तथा 14 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए विशेष उपयोगी है ।
2 बाल संप्रत्यय परीक्षण – CAT ( CHILDREN APPRECIATION TEST )
निर्माण – लियोपोल्ड वैल्लोक (1948) तथा इसका विकास किया है डॉक्टर अर्नेष्ठ क्रिस ने
→ इस परीक्षण में 10 कार्डो पर जानवरों के चित्र बने होते हैं बालक को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है ।
→ यह परीक्षण भी व्यक्तित्व व सामूहिक दोनों रूपों में प्रयोग किया जा सकता है । तथा 3 से 11 वर्ष के बालकों के लिए विशेष उपयोगी है ।
3. रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण – IBT (INK BLOD TEST)
निर्माण – हरमन रोर्शा (1921)
→ इस परीक्षण में 10 कार्ड पर स्याही के धब्बे बने होते हैं 5 कार्ड पर काले और सफेद रंग के तथा बाकी पांच पर विभिन्न रंगों के धब्बे बने होते हैं ।
→ बालक को धब्बा दिखाकर आकृति के बारे में पूछा जाता है यह परीक्षण व्यक्तिगत रूप से किसी भी आयु वर्ग पर प्रयोग किया जा सकता है ।
4.वाक्य पूर्ति परीक्षण (SCT)
निर्माण – 1930 में
विकास – पाइन एवं टेंडलर ने ।
तथा इस दिशा में सबसे सराहनीय कार्य रोटर्स ने किया।
इस परीक्षण में अधूरे वाक्य को पूरा करने को कहा जाता है ।
जैसे :-
मैं बहुत खुश होता हूं जब _____।
मेरे मित्र अक्सर ______।
मैं बहुत दुखी होता हूं,जब_____।
5. स्वतंत्र शब्द साहचर्य परीक्षण (FWAT)
निर्माण – 1879 में गॉल्टन ने किया ।
इस परीक्षण के द्वारा व्यक्तित्व मापन के अलावा कई मानसिक रोगों का इलाज भी किया जाता है ।
6. खेल व नाटक विधि —
समर्थक – मोरेनो
यह भी एक प्रक्षेपी विधि है ।
इस विधि में बालक की अभिव्यक्ति के माध्यम से अचेतन मन की बातों का पता लगाकर उसके व्यक्तित्व का मापन किया जाता है ।
आत्मनिष्ठ/व्यक्तिनिष्ठ विधियां
1. आत्मकथा विधि / आत्मदर्शन विधि →
प्रवर्तक → विलियम वुन्ट/ टीचरनर(शिष्य)
यह एक प्राचीनतम विधि है इसमें व्यक्ति स्वयं स्वयं के बारे में लिखता है।
वैज्ञानिक विधि नहीं होने के कारण आज इसका प्रयोग बहुत कम किया जाता है ।
2.व्यक्ति इतिहास विधि (केस स्टडी)
प्रवर्तक – टाइडमैन
निदानात्मक अध्ययनों की सर्वश्रेष्ठ विधि है । व्यक्ति इतिहास विधि असामान्य बालक के निदान की सर्वश्रेष्ठ विधि है ।
समस्या के कारण को जानना निदान कहलाता है जो कि मनोविज्ञान की सहायता से किया जाता है।
करण को दूर करना उपचार कहलाता है जो कि शिक्षा की सहायता से किया जाता है ।
बिना निदान के उपचार संभव नहीं है।
3. प्रश्नावली विधि / व्यक्तित्व अनुसूची
सर्वप्रथम वुडवर्थ ने पर्सनल डाटा इंक्वायरी का निर्माण किया ।
कैटल ने 16 PF व्यक्तित्व कारक प्रश्नावली का निर्माण किया ।
प्रश्नावली 3 से 4 प्रश्न विकल्प
मापनी 5 से अधिक विकल्प
प्रश्नावली विधि – सुकरात (प्रश्न उत्तर )
प्रश्नावली विधि – वुडवर्थ
प्रश्नावली में आमने सामने होना जरूरी नहीं होता इसमें उत्तर के रूप में दो विकल्प (हाँ या ना ) या तीन विकल्प ( हाँ नहीं कभी नहीं) होते हैं ।
मापनी में 5 विकल्प होते हैं ।
प्रश्नावली के प्रकार
- बंद प्रतिबंधित प्रश्नावली – इसमें प्रश्नों के उत्तर हां अथवा नहीं या फिर किसी एक विकल्प का चयन करके देने होते हैं ।
- खुली/प्रतिबंधित प्रश्नावली – इसमें प्रश्नों के उत्तर विस्तार पूर्वक व स्वतंत्रता पूर्वक देने होते हैं ।
- चिंत्रित प्रश्नावली – इसमें चित्रों के माध्यम से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं ।
- मिश्रित प्रश्नावली – उपरोक्त सभी का मिलाजुला रूप

4. साक्षात्कार विधि
पैनल का अर्थ होता है – लघु विशिष्ट समूह सदस्यों की संख्या 8 से 10
→ इसकी शुरुआत अमेरिका से हुई इसमें आमने सामने होना जरूरी होता है इसमें प्रश्नों का कोई बंधन नहीं होता और ना ही कोई समय सीमा निश्चित होती है ।
→ साक्षात्कार को वार्तालाप का एक रूप माना जाता है ।
→ साक्षात्कार के प्रकार
- निर्देशित साक्षात्कार – इसमें प्रश्नों की भाषा समय तरीका आदि पहले से ही निश्चित होते हैं यह सुनियोजित तरीके से किया जाने वाला साक्षात्कार है ।
- अनिर्देशित साक्षात्कार – इसे गहन निदानात्मक व केंद्रित साक्षात्कार भी कहते हैं इसमें कुछ भी पहले से निश्चित नहीं होता है प्रवृति लचीली होती है। इसमें साक्षात्कारकर्ता प्रत्याशी को उन्मुक्त अभिव्यक्ति के अवसर प्रदान करता है ।
- समाहार साक्षात्कार :- उपरोक्त दोनों का मिला जुला रूप तथा साक्षात्कार की सर्वश्रेष्ठ वह वैध विधि।
वस्तुनिष्ठ विधियां –
- निरीक्षण विधि/ बहिदर्शन विधि / सार्वभौमिक विधि —
प्रवर्तक – वाटसन
इस विधि में सामने वाले व्यक्ति के व्यवहार का विभिन्न परिस्थितियों में अध्ययन करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि विषयी का व्यक्तित्व कैसा है ।
- समाजमिति विधि –
प्रवर्तक – जेएल मोरेनो
इस विधि में व्यक्ति की सामाजिकता के बारे में समाज के व्यक्तियों से जानकारी लेकर निष्कर्ष निकाला जाता है कि विषयी का व्यक्तित्व कैसा है ।
- कर्म निर्धारण मापनी/ रेटिंग स्केल –
सर्वप्रथम निर्माण किया – थस्टर्न
इस परीक्षण में कर्म निर्धारण मापनी के माध्यम से आंकड़े एकत्रित करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि विषयी का व्यक्तित्व कैसा है ।
- शारीरिक परीक्षण — इस परीक्षण में व्यक्ति की शारीरिक जांच करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि निर्धारित नौकरी के लिए व स्वस्थ है या नहीं
इस series में हम psychology के notes दे रहे है जो विभिन्न परीक्षाओं के लिए अतिमहत्वपूर्ण है |
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